आधारभूत ब्रह्माण्ड

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महा-एकीकृत वर्गीकरण


प्रत्येक एकीकरण का अपना अलग ही महत्व होता है। उनकी अपनी अलग, भिन्न-भिन्न शर्तें होती हैं। आधारभूत ब्रह्माण्ड की संरचना सभी एकीकरण को संरक्षण प्रदान करती है। कहने का तात्पर्य आधारभूत ब्रह्माण्ड के विश्लेषण में क्रमशः सिद्धांतों, अवयवों, राशियों, कणों, बलों, नियमों, विषयों और अवधारणाओं का एकीकरण शामिल है। उनकी अपनी अलग ही सीमा है। इस महा-एकीकृत वर्गीकरण में प्रकृति, प्राकृतिक और अप्राकृतिक बिन्दुओं का और स्वाभाविक और स्वतः बिन्दुओं का आधारित वर्गीकरण स्पष्ट देखा जा सकता है।
विश्लेषण के प्रमुख बिंदु
अवस्था के आधार पर :
1. प्रकृति : यह एक सैद्धांतिक दृष्टी है। जिसके द्वारा प्रत्येक निर्देशित तंत्र की निर्धारित ऊर्जा, शक्ति, स्थिति और उद्देश को इकाई समय के लिए जाना जाता है। प्रकृति, ब्रह्माण्ड के स्वरुप द्वारा निर्धारित होती है।
2. प्राकृतिक : निर्धारित प्रकृति की वजह से भौतिकता को जिन गुणों के लिए जाना जाता है। वे व्यावहारिक होते हैं। जिनका परिक्षण कर पाना हमारे लिए संभव होता है। इन्ही गुणों के द्वारा ब्रह्माण्ड की बनावट को समझा जाता है। जिसमें अवयव, कण, भौतिक राशियाँ और प्राकृतिक नियम प्रमुख हैं। ब्रह्माण्ड परिवर्तन का क्रम प्राकृतिक (भौतिकता) बिंदु का अहम् हिस्सा है।
3. अप्राकृतिक : जब कभी अवस्था परिवर्तन के आधार पर भौतिक राशियों की माप की जाती है। तो यह प्रणाली अप्राकृतिक कहलाती है। यह बिंदु ब्रह्माण्ड के गुणात्मक विकास को दर्शाता है। यह विज्ञान की सबसे निम्न स्तर की स्थिति होती है। क्योंकि यहाँ हमें तय करना होता है कि परिक्षण के लिए किसे आधार माना जाए। यह वैकल्पिक प्रणाली है। इस स्थिति में जाकर समस्या के भौतिक अर्थ को जाना जाता है।

क्रियाओं के आधार पर :
1. स्वतः क्रियाएँ :
2. स्वभाविक क्रियाएँ :                                                                                                  
पुस्तक लेखन का कार्य निरंतर अग्रसर है।


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