भौतिकता का सीमांत दर्शन
आधारभूत ब्रह्माण्ड की विशिष्ट संरचना (गणितीय मॉडल), अनंत के लिए सर्वाधिक मान को दर्शाती है। इस संरचना में शामिल होने के लिए ऐसा कुछ भी शेष नहीं रह जाता। जिसकी कल्पना भी की जा सके। याद रहे.. बिना आधार के कोई भी कल्पना कर पाना असंभव है। आधारभूत ब्रह्माण्ड का स्वरुप भौतिकता की सीमा को दर्शाता है। जब आप इस विशिष्ट संरचना की बनावट को समझ पाते हैं। तब आपके मन में भी अनंत की शर्तों से जुड़े हुए प्रश्न नहीं रह जाते।
क्योंकि विशिष्ट संरचना के विश्लेषण से क्रमशः सिद्धांत, अवयव, राशियाँ, बल, कण, नियम, विषय और अवधारणाओं के एकीकरण का वर्गीकृत रूप प्राप्त होता है। इन्ही वर्गीकृत रूपों में प्रकृति, प्राकृतिक और अप्राकृतिक बिन्दुओं का और स्वाभाविक और स्वतः क्रियाओं का भी स्पष्ट वर्गीकरण दिखाई देता है।
~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ अध्ययन करने तक की सीमा का सचित्र वर्णन ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~
व्यावहारिक विषय
जब किसी विषय को हम समझने या समझाने के लिए स्पष्ट करते हैं। तब कुछ समय के उपरांत विषय को और अधिक स्पष्ट कर पाना मुश्किल हो जाता है। विषय की यही स्थिति, व्यवहारिक विषय कहलाती है। यही स्थिति समस्या के भौतिक अर्थ को दर्शाती है। यह वही समस्या है, जिसे मानने या न मानने से समस्या हल हुई नहीं मानी जाती। अर्थात भौतिकता के साथ समस्या का स्वरुप (अप्रत्यक्ष रूप से) सदैव जुड़ा हुआ रहता है। यह विषय-विशेष के साथ भिन्न-भिन्न रूपों में सामने आता है।
इस स्थिति में यह तय करना होता है कि आखिर हम किस पिंड या निर्देशित तंत्र के सापेक्ष में गति की बात कर रहे हैं। कुछ विषयों में तो दो लोगों या वैज्ञानिकों के मत में कभी भी समानता नहीं पाई जाएगी। यह स्थिति कभी-कभी अध्यात्म से जुड़ी मालूम होती है। परन्तु यह कोरी कल्पना नहीं है। इसका भौतिकी में महत्व है। आखिर यह स्थिति विषयों का ही व्यवहारिक सम्बन्ध जो है। इस स्थिति में अवधारणाओं के एकीकरण की बात की जा सकती है। जहाँ ब्रह्माण्ड की रचना, निर्माण, उत्पन्न होने या पैदा होने की शर्तों और संभावनाओं पर विचार किये जाते हैं।
यह स्थिति दृश्य जगत और अदृश्य जगत में, गत्याव्स्था का विरामाव्स्था से, भौतिकी का अन्य विषयों से सम्बन्ध स्थापित करती है।
उद्देशीय ब्रह्माण्ड
उद्देशीय ब्रह्माण्ड, आधारभूत ब्रह्माण्ड का चौथा महत्वपूर्ण घटक है। पहले घटक के अंतर्गत पदार्थ, दूसरे घटक के अंतर्गत ऊर्जा, तीसरे घटक के अंतर्गत स्वतंत्र अस्तित्व की स्थिति या स्तर (जैसे परमाणु में इलेक्ट्रान की उपस्थिति) और चौथे घटक के अंतर्गत भौतिकता की माप आती है।
उद्देश से तात्पर्य, भौतिकीय राशियों के मान से है। विकास की प्रक्रिया के मार्ग से कतई नहीं है। उद्देशीय ब्रह्माण्ड के अनुसार ऐसा ही होना तय था। इस बात को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। क्योंकि भौतिकीय राशियों का मान प्रत्येक संभावित घटना के लिए समान ही होता है।
समझाने हेतु एक उदाहरण प्रस्तुत है। माना हमें ५ तसले मिट्टी से एक हवन कुंड तैयार करना है। याद रहे, हमारा उद्देश ५ तसले मिट्टी से हवन कुंड तैयार करने का है। परन्तु हवन कुंड का गोलाकार, वर्गाकार या त्रिभुजाकार आदि आकर से बनाए जाने की संभावनाएँ हमारे पास सदैव उपस्थित रहती हैं। प्रत्येक भौतिकता में चारों घटक उपस्थित रहते हैं। परन्तु उस भौतिकता की संरचना को दर्शाने वाली रचनाएँ सदैव भिन्न-भिन्न रहती हैं।
नोट : यदि आप ब्रह्माण्ड का उद्देश जानना चाहते हैं, तो याद रखिये कि प्रकृति, प्रायिकता पर कार्य करती है। न कि संभावनाओं पर..