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शिशु ब्रह्माण्ड


यह बहुत ही रोमांचक विषय है। क्योंकि इस विषय में उन बिन्दुओं का अध्ययन किया जाता है जिनके अनुसार ब्रह्माण्ड का जन्म हो सकता है। कहने का तात्पर्य वे कौन-कौन सी परिस्थितियां है। जो ब्रह्माण्ड को जन्म देती अथवा दे सकती हैं ?? क्या इन घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है ?? या निरंतर जारी है ?? या इन घटनाओं का परिक्षण कर पाना हमारे लिए संभव नहीं है ?? या हम समय के उस दौर में ही शामिल नहीं है जब ब्रह्माण्ड का जन्म होता है ??
हे ना मजेदार विषय…
शिशु ब्रह्माण्ड
वास्तव में शिशु ब्रह्माण्ड विकास के क्रम पर आधारित विषय है। जहाँ शिशु ब्रह्माण्ड का स्वतः विकास होता है। हमें याद रखना होता है कि हम ब्रह्माण्ड के जन्म की बात कर रहे हैं। तात्पर्य उसके जैसे और भी ब्रह्माण्ड हैं… जो पहले से ही मौजूद रहते हैं। अध्ययन के लिए हमें विषय से सम्बंधित सभी शर्तों को जानना होता है। जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड में विकास का एक निश्चित क्रम होता है। यह क्रम प्राकृतिक नियम को निरुपित करता है।

ब्रह्माण्ड में विकास दो तरह से होता है।

  1. संख्यात्मक विकास..
  2. गुणात्मक विकास..

यह (शिशु ब्रह्माण्ड) ब्रह्माण्ड के समूह से सम्बंधित विषय है।


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